google.com, pub-2539559331202248, DIRECT, f08c47fec0942fa0 गुर्दे की पथरी की परिभाषा और तथ्य - Definition and Facts of Kidney Stones

गुर्दे की पथरी की परिभाषा और तथ्य - Definition and Facts of Kidney Stones

 गुर्दे की पथरी की परिभाषा और तथ्य (Definition and Facts of Kidney Stones)

1-गुर्दे की पथरी की परिभाषा - Definition of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी (Kidney Stones) वह कठोर, क्रिस्टलीय पदार्थ होते हैं जो गुर्दे में बनते हैं। यह पथरी गुर्दे के अंदर मूत्र के साथ जमा हो जाती है और यह आकार में छोटे से लेकर बड़े तक हो सकती है। जब यह पथरी मूत्र के मार्ग में रुकावट डालती है या निकलने में मुश्किल होती है, तो इसके कारण तीव्र दर्द, रक्तस्राव, और मूत्र में कठिनाई हो सकती है। गुर्दे की पथरी तब बनती है जब शरीर में खनिज और लवण एकत्रित होकर क्रिस्टल बनाते हैं, जो समय के साथ पथरी के रूप में विकसित हो जाते हैं। पथरी का आकार और प्रकार विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे आहार, जीवनशैली, और आनुवांशिक तत्व।

गुर्दे की पथरी क्या है?

गुर्दे की पथरी वह कठोर ठोस पदार्थ होते हैं जो गुर्दे में पाई जाती हैं। यह पथरी आमतौर पर मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकलती है, लेकिन कभी-कभी ये पथरी गुर्दे या मूत्राशय में रुक सकती हैं। पथरी तब बनती है जब मूत्र में खनिज और अन्य पदार्थ अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाते हैं, जिससे क्रिस्टल बन जाते हैं। यह क्रिस्टल समय के साथ एक साथ जुड़कर बड़ी पथरी का रूप ले सकते हैं। पथरी का आकार और प्रकार व्यक्ति की स्थिति और आहार पर निर्भर करते हैं।

2-पथरी के प्रकार - Types of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी विभिन्न प्रकार की होती हैं, और हर प्रकार के निर्माण का कारण और उपचार अलग हो सकता है। पथरी का प्रकार गुर्दे में उपस्थित खनिजों, आहार, जीवनशैली और शरीर की शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है।

1- कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी (Calcium Oxalate Stones) - यह पथरी कैल्शियम और ऑक्सलेट के संयोजन से बनती है, जो शरीर में सामान्य रूप से मौजूद होते हैं। यह सबसे आम प्रकार की पथरी है।

कारण - अत्यधिक कैल्शियम और ऑक्सलेट का सेवन, शरीर में पानी की कमी, और अधिक सोडियम और प्रोटीन वाले आहार से यह पथरी बन सकती है।

लक्षण - मूत्र में रक्त आना, पीठ और पेट में तेज़ दर्द, और पेशाब में जलन।

उपचार - अधिक पानी पीना, आहार में कैल्शियम और ऑक्सलेट की मात्रा को नियंत्रित करना, और दवाइयों से पथरी को टुकड़ों में तोड़ना।

2- कैल्शियम फॉस्फेट पथरी (Calcium Phosphate Stones) - यह पथरी कैल्शियम और फॉस्फेट के संयोजन से बनती है। यह पथरी आमतौर पर उच्च पीएच वाले मूत्र में पाई जाती है।

कारण - अधिकतर जब मूत्र में कैल्शियम और फॉस्फेट का अत्यधिक मिश्रण होता है, तब यह पथरी बन सकती है। उच्च पीएच वाले मूत्र और मूत्र मार्ग संक्रमण इसके निर्माण के कारक हो सकते हैं।

लक्षण - मूत्र में रुकावट, दर्द, रक्त आना, और संक्रमण के लक्षण।

उपचार - मूत्र के पीएच स्तर को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ, और आहार में सुधार।

3- यूरीक ऐसिड पथरी (Uric Acid Stones) - यह पथरी यूरीक ऐसिड के क्रिस्टल से बनती है। यह पथरी आमतौर पर उच्च प्रोटीन डाइट या गठिया जैसी बीमारियों के कारण बनती है।

कारण - अधिक प्रोटीन, मांस, और शराब का सेवन, यूरीक ऐसिड का अत्यधिक उत्पादन, और उच्च यूरीक ऐसिड की स्थिति (हाइपरयूरीसिमिया) से यह पथरी बन सकती है।

लक्षण - पीठ, पेट और बगल में तीव्र दर्द, मूत्र में रक्त, पेशाब में जलन।

उपचार - प्रोटीन और शर्करा का सेवन कम करना, ज्यादा पानी पीना, और यूरीक ऐसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ।

 4- स्ट्रवाइट पथरी (Struvite Stones) - यह पथरी बैक्टीरिया के मूत्र मार्ग संक्रमण के कारण बनती है। बैक्टीरिया यूरिया को अमोनिया में बदलता है, जो फिर स्ट्रवाइट पथरी का निर्माण करता है।

कारण - मूत्र मार्ग के संक्रमण, विशेष रूप से उन बैक्टीरिया से, जो अमोनिया का उत्पादन करते हैं। यह पथरी बड़े आकार में हो सकती है।

लक्षण - मूत्र मार्ग संक्रमण के लक्षण, दर्द, बुखार, और मूत्र में रुकावट।

उपचार - मूत्र मार्ग संक्रमण का उपचार, एंटीबायोटिक्स, और बड़ी पथरी को सर्जरी या लिथोट्रिप्सी द्वारा तोड़ना।

 5- सिस्टिन पथरी (Cystine Stones) - यह दुर्लभ प्रकार की पथरी होती है, जो एक आनुवांशिक विकार सिस्टिनुरिया (Cystinuria) के कारण बनती है।

कारण - यह पथरी उस स्थिति के कारण बनती है जिसमें शरीर में सिस्टिन (एक अमिनो एसिड) का अत्यधिक उत्सर्जन होता है। यह एक आनुवांशिक विकार होता है जो परिवारों में चलता है।

लक्षण - मूत्र में रक्त, अत्यधिक दर्द, और बड़ी पथरी के कारण मूत्र मार्ग में रुकावट।

उपचार - सिस्टिन पथरी का इलाज बहुत कठिन होता है। पानी की अधिक मात्रा पीने, आहार में सुधार करने और दवाइयाँ लेने से पथरी को नियंत्रित किया जा सकता है।

3-पथरी का आकार - Size of the Stone:-

छोटे आकार की पथरी - 1-2 मिमी तक होती हैं और यह अक्सर बिना किसी लक्षण के मूत्र के माध्यम से बाहर निकल सकती हैं।

मध्यम आकार की पथरी - यह पथरी 3-4 मिमी तक हो सकती है और इससे मूत्र मार्ग में रुकावट आ सकती है, जिससे दर्द और जलन हो सकती है।

बड़ी पथरी - 5 मिमी से अधिक आकार की पथरी बड़ी होती है और यह मूत्राशय या मूत्रमार्ग में रुकावट डाल सकती है, जिससे गंभीर दर्द, संक्रमण और अन्य जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

4-पथरी बनने के कारण - Causes of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी बनने के कई कारण होते हैं, जो आहार, जीवनशैली, शारीरिक स्थितियों, और आनुवांशिकी से जुड़े हो सकते हैं। पथरी का निर्माण तब होता है जब मूत्र में खनिज और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं और धीरे-धीरे क्रिस्टल बनकर पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी बनने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1-आहार संबंधी कारण (Dietary Causes) -

अत्यधिक प्रोटीन का सेवन - उच्च प्रोटीन वाले आहार, विशेष रूप से मांसाहारी आहार, गुर्दे में यूरीक ऐसिड का उत्पादन बढ़ा सकते हैं, जिससे यूरीक ऐसिड पथरी का निर्माण हो सकता है।

ऑक्सलेट्स की अधिकता - कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे पालक, चॉकलेट, चाय, और बीट्स में उच्च ऑक्सलेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी का कारण बन सकते हैं।

नमक और सोडियम का अत्यधिक सेवन - उच्च सोडियम (नमक) का सेवन मूत्र में कैल्शियम की मात्रा बढ़ा सकता है, जो पथरी के निर्माण में योगदान कर सकता है।

कैल्शियम का कम सेवन - कैल्शियम की कमी भी पथरी बनने का कारण बन सकती है क्योंकि यह शरीर में खनिजों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

शर्करा और अस्वस्थ वसा का सेवन - अधिक शर्करा और अस्वस्थ वसा का सेवन भी पथरी बनने का कारण हो सकता है।

2- पानी की कमी (Dehydration) -

मूत्र में पानी की कमी - जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो मूत्र गाढ़ा हो जाता है, जिससे उसमें उपस्थित खनिज और लवण एकत्रित हो सकते हैं और क्रिस्टल बन सकते हैं। समय के साथ ये क्रिस्टल पथरी का रूप ले लेते हैं।

विभिन्न स्थितियों में पानी की कमी - गर्मियों में अत्यधिक पसीना आना, व्यायाम के दौरान पानी का कम सेवन, या पर्याप्त पानी नहीं पीना पथरी बनने का प्रमुख कारण हो सकता है।

पानी पीने की आदतों में लापरवाही - दैनिक रूप से पर्याप्त पानी का सेवन न करने से मूत्र में खनिजों का जमाव हो सकता है।

3-आनुवांशिक कारण (Genetic Factors) -

पारिवारिक इतिहास - अगर परिवार में किसी को पथरी है, तो उस व्यक्ति को भी पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है। आनुवांशिक कारक पथरी के प्रकार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

सिस्टिनुरिया - यह एक आनुवांशिक विकार है जिसमें सिस्टिन नामक अमिनो एसिड अत्यधिक मात्रा में मूत्र में उत्सर्जित होता है, जिससे सिस्टिन पथरी बन सकती है।

मेटाबोलिक विकार - कुछ आनुवांशिक मेटाबोलिक विकार, जैसे कि हाइपरकैल्सियुरिया (कैल्शियम का अत्यधिक उत्सर्जन), पथरी बनने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

4- मूत्र संक्रमण (Urinary Tract Infections - UTI) -

संक्रमण से पथरी का निर्माण - मूत्र मार्ग में संक्रमण (UTI) होने पर कुछ बैक्टीरिया यूरिया को अमोनिया में बदल सकते हैं, जिससे स्ट्रवाइट पथरी का निर्माण हो सकता है। इस प्रकार की पथरी आमतौर पर संक्रमण के कारण बनती है।

अक्सर होने वाले संक्रमण - जो लोग बार-बार मूत्र संक्रमण का शिकार होते हैं, उन्हें पथरी बनने का खतरा अधिक होता है।

संक्रमण से राहत पाने के लिए सही उपचार की आवश्यकता - संक्रमण का सही उपचार न होने पर यह पथरी के गठन को बढ़ावा दे सकता है।

5- अन्य चिकित्सा स्थितियाँ (Other Medical Conditions) -

उच्च रक्तदाब (Hypertension) - उच्च रक्तदाब के कारण गुर्दे पर दबाव पड़ता है, जिससे पथरी का जोखिम बढ़ सकता है। उच्च रक्तदाब वाले मरीजों में अक्सर पथरी बन सकती है।

मोटापा (Obesity) - मोटे व्यक्तियों में उच्च कैल्शियम और ऑक्सलेट के स्तर के कारण पथरी बनने का खतरा अधिक होता है। यह मेटाबोलिक सिंड्रोम और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है।

गठिया (Gout) - गठिया जैसी स्थितियों में यूरीक ऐसिड का उच्च स्तर होता है, जिससे यूरीक ऐसिड पथरी का निर्माण हो सकता है।

हाइपरपैरीथायरॉयडिज्म - इस स्थिति में पॅराथायरॉयड ग्रंथि का असामान्य कार्य कैल्शियम के असंतुलन को बढ़ावा देता है, जिससे पथरी बनने का खतरा बढ़ता है।

क्रोनिक डिसीज़ - जैसे क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) या अन्य गुर्दे की बीमारियाँ पथरी के निर्माण को बढ़ा सकती हैं।

सर्जरी और दवाइयाँ - कुछ सर्जरी जैसे बैरीएट्रिक सर्जरी, या दवाइयाँ (जैसे थियाजाइड्स) भी पथरी के निर्माण में योगदान कर सकती हैं।

5- गुर्दे की पथरी के लक्षण - Symptoms of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी के लक्षण व्यक्ति की पथरी के आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। पथरी के कुछ लक्षण हल्के हो सकते हैं, जबकि कुछ गंभीर और तीव्र हो सकते हैं। जब पथरी मूत्रमार्ग में रुकावट डालती है या गुर्दे में फंस जाती है, तो इसके कारण तीव्र दर्द और अन्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। नीचे गुर्दे की पथरी के प्रमुख लक्षण दिए गए हैं:

1- तेज़ और तीव्र दर्द (Severe and Intense Pain) - गुर्दे की पथरी के कारण उत्पन्न होने वाला दर्द बहुत तीव्र और अचानक आता है, जिसे "कोलिकी पेन" कहा जाता है। यह दर्द खासतौर पर पीठ, पेट के निचले हिस्से, बगल या मूत्राशय के पास महसूस हो सकता है।

कारण - जब पथरी मूत्रमार्ग में फंसती है या गुजरने के प्रयास में होती है, तो यह दर्द का कारण बनती है। यह दर्द बहुत ही तीव्र और चुभने जैसा हो सकता है, और व्यक्ति को असहज महसूस करवा सकता है।

लक्षण - दर्द अक्सर बुखार, पेशाब में रुकावट और अन्य लक्षणों के साथ आता है। दर्द का अनुभव व्यक्ति के शरीर की स्थिति और पथरी के स्थान के आधार पर बदल सकता है।

2- मूत्र में रक्त आना (Hematuria - Blood in Urine) - मूत्र में रक्त आना या हेमेटुरिया, पथरी के कारण एक सामान्य लक्षण है। यह लक्षण तब उत्पन्न होता है जब पथरी मूत्र मार्ग में घर्षण उत्पन्न करती है, जिससे रक्त वाहिकाओं में क्षति हो सकती है।

कारण - पथरी के मूत्र मार्ग में रुकने या घर्षण करने से रक्तस्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मूत्र में रक्त दिखाई देता है।

लक्षण - मूत्र में हल्का से लेकर गहरा लाल रंग का रक्त दिखाई दे सकता है। कभी-कभी यह रक्त नग्न आंखों से नहीं दिखाई देता, लेकिन मूत्र में सूक्ष्म रक्त (माइक्रोहेमेटुरिया) पाया जा सकता है।

3- पेशाब में जलन (Painful Urination) - पेशाब करते समय जलन या दर्द का महसूस होना भी गुर्दे की पथरी का एक सामान्य लक्षण है। यह स्थिति तब होती है जब पथरी मूत्र मार्ग के किसी हिस्से में फंसी होती है।

कारण - पथरी के मूत्रमार्ग में घर्षण करने से उत्तेजना और सूजन होती है, जिससे पेशाब करते समय जलन और दर्द होता है।

लक्षण - पेशाब करते वक्त जलन, जलन महसूस होना, और दर्द की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह आमतौर पर पथरी के मूत्रमार्ग में गुजरने के दौरान होता है।

4- मतली और उल्टी (Nausea and Vomiting) - गुर्दे की पथरी के कारण मतली और उल्टी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह लक्षण उस समय होता है जब पथरी अत्यधिक दर्द का कारण बनती है और शरीर इस दर्द से निपटने के लिए प्रतिक्रिया करता है।

कारण - जब पथरी के कारण अत्यधिक दर्द होता है, तो यह शरीर में तनाव उत्पन्न करता है, जो मस्तिष्क में प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है और परिणामस्वरूप मतली और उल्टी होती है।

लक्षण - व्यक्ति को बुखार, दर्द और अस्वस्थता के कारण उल्टी और चक्कर आ सकते हैं।

5- मूत्र की रुकावट (Urinary Obstruction) - मूत्र की रुकावट तब होती है जब पथरी मूत्र मार्ग में फंस जाती है और मूत्र का सामान्य प्रवाह रुक जाता है। यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।

कारण - पथरी के कारण मूत्र मार्ग में रुकावट आ सकती है, जिससे पेशाब करना कठिन हो जाता है। यदि रुकावट बनी रहती है, तो इससे गुर्दे पर दबाव पड़ता है, जिससे गुर्दे की क्षति हो सकती है।

लक्षण - पेशाब करने में कठिनाई, मूत्र का रुक जाना, दर्द और सूजन। अगर मूत्र मार्ग में पूरी तरह से रुकावट आ जाती है तो यह गंभीर समस्या बन सकती है।

6- गुर्दे की पथरी के उपचार - Treatment of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी का इलाज पथरी के आकार, प्रकार, स्थान, और व्यक्ति की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर किया जाता है। उपचार के विकल्प विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे दवाइयाँ, लिथोट्रिप्सी, सर्जरी, और प्राकृतिक उपचार। इन सभी विकल्पों का उद्देश्य पथरी को तोड़ना, निकालना, या पथरी के कारण होने वाले लक्षणों को कम करना है।

1- दवाइयाँ और दर्द निवारक (Medications and Pain Relief) -

दवाइयाँ - 

पथरी को तोड़ने वाली दवाइयाँ - कुछ दवाइयाँ पथरी को टूटने में मदद कर सकती हैं, जैसे पोटैशियम-सीट्रेट, जो मूत्र के पीएच को संतुलित करने में मदद करती है और पथरी के बनने के जोखिम को कम करती है।

एंटीइंफ्लेमेटरी दवाइयाँ (NSAIDs) - दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाइयाँ जैसे इबुप्रोफेन, डायक्लोफेनेक, या पेरासिटामोल सिफारिश कर सकते हैं।

अल्फा-ब्लॉकर्स - यदि पथरी मूत्रमार्ग में फंसी है, तो अल्फा-ब्लॉकर्स (जैसे टैम्सुलोसिन) का उपयोग किया जा सकता है। ये दवाइयाँ मूत्रमार्ग को आराम देती हैं और पथरी को बाहर निकालने में मदद करती हैं।    

दर्द निवारक -

गुर्दे की पथरी के दौरान अत्यधिक दर्द हो सकता है, जिसे कम करने के लिए ओपियड आधारित दर्द निवारक (जैसे कोडीन या हाइड्रोकोडोन) भी दिए जा सकते हैं। हालांकि, इनका उपयोग डॉक्टर की निगरानी में करना चाहिए।

2- लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy - ध्वनि तरंगों से पथरी का इलाज) - लिथोट्रिप्सी एक गैर-आक्रामक उपचार प्रक्रिया है, जिसमें उच्च-ऊर्जा ध्वनि तरंगों (अल्ट्रासाउंड) का उपयोग करके पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, ताकि उन्हें मूत्र के माध्यम से बाहर निकाला जा सके।

प्रकार -

एस.डब्ल्यू.एल. (Shock Wave Lithotripsy - SWL) - यह सबसे सामान्य प्रकार की लिथोट्रिप्सी है। इसमें शरीर के बाहर से ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल पथरी को तोड़ने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ देती है, जिन्हें मूत्र के जरिए बाहर निकाला जा सकता है।

सी.एन.एस. (Contact Laser Lithotripsy) - इसमें लेज़र का उपयोग पथरी को तोड़ने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया मूत्रमार्ग या गुर्दे के अंदर की जाती है।

लाभ -

यह प्रक्रिया बहुत कम आक्रामक होती है और सामान्यतः अस्पताल में एक ही दिन में की जा सकती है। पथरी के छोटे-छोटे टुकड़े मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं, जिससे मरीज को जल्दी राहत मिलती है।

सावधानियाँ - लिथोट्रिप्सी से बड़ी पथरी, जो बहुत कठोर होती हैं, उन्हें पूरी तरह से नहीं तोड़ा जा सकता। इसके अलावा, यह प्रक्रिया कुछ समय दर्द या रक्तस्राव का कारण बन सकती है।

3- सर्जरी (Surgery - पथरी निकालने के लिए) -

सर्जरी की आवश्यकता -

जब पथरी बहुत बड़ी हो या लिथोट्रिप्सी से तोड़ी न जा सके, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, यदि पथरी से मूत्र मार्ग में रुकावट हो या गुर्दे में संक्रमण हो, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

प्रकार -

पायेलोथ्रोमोटमी (Pyelolithotomy) - इस प्रक्रिया में गुर्दे में एक छोटा चीरा लगाया जाता है, और पथरी को सीधे बाहर निकाला जाता है।

यूट्रेरोस्कोपी (Ureteroscopy) - यह प्रक्रिया तब की जाती है जब पथरी मूत्रवाहिनी में फंसी हो। इसमें एक पतला उपकरण मूत्रमार्ग के माध्यम से डाला जाता है और पथरी को निकाला जाता है।

पेरक्युटेनेअस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy - PCNL) - यदि पथरी बहुत बड़ी हो, तो इसे शरीर में एक छोटा चीरा लगाकर बाहर निकाला जा सकता है।

लाभ -

सर्जरी द्वारा बड़ी और जटिल पथरी को निकाला जा सकता है। यह प्रक्रियाएँ पथरी के आकार और स्थान पर निर्भर करती हैं।

सावधानियाँ - सर्जरी के बाद कुछ समय तक आराम की आवश्यकता होती है, और संक्रमण या रक्तस्राव का जोखिम हो सकता है।

4- प्राकृतिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव (Natural Remedies and Lifestyle Changes) -

प्राकृतिक उपचार -

पानी का अधिक सेवन - पर्याप्त पानी पीने से मूत्र गाढ़ा नहीं होता और पथरी का निर्माण होने से बचा जा सकता है। यदि पथरी है, तो यह उसे मूत्र के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है।

नींबू पानी - नींबू में साइट्रेट होता है, जो कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी को बनने से रोकता है। नींबू का पानी नियमित रूप से पीने से पथरी के निर्माण को रोका जा सकता है।

सेलरी का रस - यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, जो पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है। यह गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए उपयोगी हो सकता है।

सेब का सिरका - यह पथरी को तोड़ने और शरीर से निकालने में मदद करता है। यह मूत्र में खनिजों के संकेंद्रण को कम करने में मदद करता है।

जीवनशैली में बदलाव -

संतुलित आहार - पथरी से बचने के लिए आहार में कैल्शियम, ऑक्सलेट्स और सोडियम का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। हरी सब्जियाँ, फल और फाइबर युक्त आहार को प्राथमिकता दें।

नियमित व्यायाम - एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है। यह शरीर को सक्रिय और स्वस्थ रखने में मदद करता है।

पानी का सेवन बढ़ाएं - पथरी बनने से बचने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।

7- गुर्दे की पथरी की रोकथाम - Prevention of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी की रोकथाम के लिए कुछ आसान और प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं, जो पथरी के निर्माण के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। इन उपायों में आहार से लेकर जीवनशैली में बदलाव तक कई पहलू शामिल हैं। नीचे दिए गए प्रमुख बिंदुओं को अपनाकर आप गुर्दे की पथरी से बच सकते हैं।

1- अधिक पानी पीना (Drink More Water) - पानी का अधिक सेवन मूत्र को पतला करता है और मूत्र में खनिजों के संकेंद्रण को कम करता है, जिससे पथरी बनने की संभावना घट जाती है। जब आप पर्याप्त पानी पीते हैं, तो यह पथरी के आकार को बढ़ने से रोकता है और मूत्र के माध्यम से छोटे कणों को बाहर निकालने में मदद करता है।

सुझाव - दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

              यदि आप अधिक पसीना बहाते हैं या गर्म वातावरण में रहते हैं, तो पानी का सेवन और बढ़ाएं।

2- संतुलित आहार (Balanced Diet) - संतुलित आहार से शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो गुर्दे की पथरी को बनने से रोकने में मदद कर सकते हैं। एक उचित आहार में फाइबर, प्रोटीन, और स्वास्थ्यवर्धक वसा शामिल होनी चाहिए।

सुझाव - ताजे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज का सेवन करें।

             फैटी और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें, जो शरीर में अतिरिक्त कैल्शियम और ऑक्सलेट्स का निर्माण                    कर सकते हैं।

3- कैल्शियम और ऑक्सलेट का सेवन नियंत्रित करना (Control Calcium and Oxalate Intake) -गुर्दे की पथरी मुख्यतः कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी के रूप में बनती है। अधिक कैल्शियम या ऑक्सलेट युक्त आहार का सेवन पथरी के निर्माण के जोखिम को बढ़ा सकता है। हालांकि, कैल्शियम का सेवन पूरी तरह से रोकना भी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह हड्डियों और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

सुझाव - अधिक कैल्शियम ऑक्सलेट वाले खाद्य पदार्थों से बचें, जैसे पालक, बीट, चॉकलेट, और नट्स।

              अपने आहार में कैल्शियम का संतुलित सेवन करें, खासकर खाद्य स्रोतों से, जैसे दूध, दही, और पनीर।

4- आहार में कमी और पर्याप्त फाइबर का सेवन (Reduce Intake of Sodium and Increase Fiber Intake) - अत्यधिक सोडियम का सेवन गुर्दे की पथरी के निर्माण के जोखिम को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह मूत्र में कैल्शियम के स्तर को बढ़ा सकता है। साथ ही, पर्याप्त फाइबर का सेवन आंतों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है और यह शरीर से अतिरिक्त अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद करता है।

सुझाव - अपने आहार में नमक की मात्रा को नियंत्रित करें और अधिक प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से बचें।

               साबुत अनाज, फल, और सब्जियाँ जैसे फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।

5- नियमित रूप से मूत्र मार्ग की सफाई (Regular Urinary Tract Hygiene) - मूत्र मार्ग की स्वच्छता को बनाए रखना गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम करने में मदद करता है। मूत्र संक्रमण (UTI) के कारण पथरी बन सकती है, इसलिए मूत्र मार्ग को स्वच्छ रखना आवश्यक है।

सुझाव - नियमित रूप से पेशाब करें और लंबे समय तक पेशाब को रोकने से बचें।

             व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें, खासकर महिलाओं के लिए, ताकि बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में प्रवेश न कर                     सकें।

            यदि मूत्र मार्ग में कोई संक्रमण हो, तो उसका समय रहते उपचार करवाएं।

8- पथरी का असर - Effects of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी का शरीर पर कई तरह का असर हो सकता है, जो गुर्दे के कार्य, मूत्र मार्ग, और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। पथरी अगर समय रहते ठीक से उपचारित नहीं की जाए तो यह विभिन्न जटिलताओं का कारण बन सकती है। यहाँ पर हम पथरी के प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

1- गुर्दे की कार्यक्षमता पर असर (Impact on Kidney Function)

गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी - यदि पथरी गुर्दे या मूत्र मार्ग में फंसी रहती है, तो यह गुर्दे के कार्य को प्रभावित कर सकती है। पथरी से उत्पन्न होने वाली रुकावट के कारण गुर्दे को काम करने में कठिनाई हो सकती है। इससे गुर्दे की कार्यक्षमता में धीरे-धीरे कमी आ सकती है।

हाइड्रोनफ्रोसिस - यह स्थिति तब होती है जब पथरी मूत्र प्रवाह में रुकावट डालती है, और गुर्दे में मूत्र का जमा हो जाता है। इससे गुर्दे में सूजन और गुर्दे की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है।

क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) - यदि पथरी का इलाज समय रहते नहीं किया गया, तो गुर्दे में संक्रमण और सूजन के कारण क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का खतरा बढ़ सकता है। इसमें गुर्दे की कार्यक्षमता स्थायी रूप से घट सकती है।

2- मूत्र मार्ग की रुकावट (Urinary Tract Obstruction)

रुकावट का कारण - जब पथरी मूत्रमार्ग में फंसी होती है, तो यह मूत्र के प्रवाह को रोक सकती है। इससे पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है और मूत्र मार्ग में दबाव बढ़ सकता है।

दर्द और असुविधा - मूत्र मार्ग में रुकावट के कारण अत्यधिक दर्द, जलन, और दर्दनाक पेशाब हो सकता है। यह रुकावट आमतौर पर कमर के निचले हिस्से या पेट के निचले भाग में दर्द का कारण बन सकती है।

समय रहते उपचार की आवश्यकता - यदि मूत्र मार्ग में रुकावट बनी रहती है, तो यह गुर्दे के संक्रमण या सूजन का कारण बन सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

3- संक्रमण का जोखिम (Risk of Infection)

मूत्र संक्रमण (Urinary Tract Infection - UTI) - पथरी के कारण मूत्र मार्ग में रुकावट उत्पन्न होती है, जिससे बैक्टीरिया का जमाव हो सकता है। इस स्थिति में मूत्र संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है, जो गुर्दे तक फैल सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

पाइलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) - यदि संक्रमण गुर्दे तक फैल जाता है, तो यह पाइलोनेफ्राइटिस (गुर्दे का संक्रमण) का कारण बन सकता है। यह स्थिति बहुत गंभीर होती है और इसका तत्काल उपचार आवश्यक होता है।

लक्षण - मूत्र में रक्त आना, पेशाब में जलन, बुखार, और ठंड लगना संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। संक्रमण का समय रहते इलाज न होने पर यह गुर्दे की स्थायी क्षति का कारण बन सकता है।

4- गुर्दे की स्थायी क्षति (Permanent Kidney Damage)

कृत्रिम गुर्दे की आवश्यकता - यदि पथरी के कारण गुर्दे की कार्यक्षमता में बहुत अधिक गिरावट आ जाती है, तो कुछ मामलों में डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है। यदि पथरी के कारण गुर्दे में स्थायी क्षति हो जाती है, तो यह लंबे समय तक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।

गुर्दे का फैलाव और सिकुड़ना - यदि पथरी की वजह से गुर्दे में सूजन बनी रहती है या मूत्र का प्रवाह रुकता है, तो गुर्दे में स्थायी क्षति हो सकती है। गुर्दा धीरे-धीरे सिकुड़ सकता है और इसकी कार्यक्षमता में स्थायी कमी आ सकती है।

क्रोनिक किडनी डिजीज - अगर पथरी समय पर ठीक नहीं होती है, तो यह गुर्दे में दीर्घकालिक क्षति और क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बन सकती है, जिससे अंत में गुर्दे की विफलता हो सकती है।

9- गुर्दे की पथरी से जुड़े जोखिम - Risks Associated with Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो न केवल मूत्र मार्ग बल्कि अन्य अंगों और स्वास्थ्य समस्याओं पर भी असर डाल सकती है। गुर्दे की पथरी से जुड़े कई जोखिम होते हैं, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। नीचे हम कुछ प्रमुख जोखिमों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

1- हृदय रोग और उच्च रक्तदाब (Heart Disease and High Blood Pressure)

हृदय रोग से संबंध -कई अध्ययन यह सुझाव देते हैं कि जो लोग गुर्दे की पथरी से पीड़ित होते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। यह जुड़ा हुआ हो सकता है क्योंकि दोनों स्थितियाँ (गुर्दे की पथरी और हृदय रोग) शरीर में सूजन और कैल्शियम के असंतुलन से संबंधित हैं।

उच्च रक्तदाब (Hypertension) - गुर्दे की पथरी का एक और संभावित प्रभाव उच्च रक्तदाब (हाई ब्लड प्रेशर) है। पथरी के कारण गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, जिससे रक्तदाब नियंत्रण से बाहर हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है।

सुझाव - गुर्दे की पथरी से बचने के लिए संतुलित आहार, अधिक पानी पीना, और नियमित रूप से रक्तदाब की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।

2- अन्य रोगों के साथ संबद्धता (जैसे मेटाबोलिक सिंड्रोम) (Association with Other Diseases like Metabolic Syndrome)

मेटाबोलिक सिंड्रोम - मेटाबोलिक सिंड्रोम, जो एक समूह है जिसमें उच्च रक्तदाब, उच्च रक्त शर्करा (डायबिटीज), और मोटापा शामिल हैं, गुर्दे की पथरी के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोग अधिकतर कैल्शियम और ऑक्सलेट युक्त पथरी विकसित करते हैं।

मोटापा - मोटापे से भी पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह शरीर में कैल्शियम और अन्य खनिजों के असंतुलन को बढ़ाता है। इस स्थिति में, शरीर के वसा के ऊतकों में जमा पदार्थ मूत्र मार्ग में पथरी का निर्माण कर सकते हैं।

डायबिटीज - डायबिटीज़ के कारण शरीर में शर्करा का असंतुलन होता है, जिससे मूत्र में अधिक कैल्शियम और यूरीक एसिड का स्तर बढ़ सकता है, जिससे पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

सुझाव - मेटाबोलिक सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यायाम, सही आहार, और मधुमेह व रक्तदाब का नियंत्रण आवश्यक है।

3- चिकित्सा जटिलताएँ (Medical Complications)

गुर्दे का संक्रमण (Kidney Infection) - पथरी की वजह से मूत्र मार्ग में रुकावट आ सकती है, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। अगर पथरी के कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण हो जाता है, तो यह गुर्दे तक भी फैल सकता है, जिससे पाइलोनेफ्राइटिस (गुर्दे का संक्रमण) हो सकता है। यह स्थिति काफी गंभीर हो सकती है और तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।

क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) - यदि गुर्दे की पथरी को लंबे समय तक इलाज नहीं किया जाता है और यह बार-बार उत्पन्न होती है, तो इससे गुर्दे की कार्यक्षमता में स्थायी गिरावट आ सकती है, जो अंततः क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का कारण बन सकती है।

डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण (Dialysis or Kidney Transplant) - अगर पथरी के कारण गुर्दे की कार्यक्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है, तो अंततः डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।

हाइड्रोनफ्रोसिस (Hydronephrosis) - जब पथरी मूत्र के प्रवाह को रोक देती है, तो गुर्दे में सूजन हो सकती है, जिसे हाइड्रोनफ्रोसिस कहा जाता है। यह स्थिति समय के साथ गुर्दे की स्थायी क्षति का कारण बन सकती है।

10- पथरी की निगरानी और फॉलो-अप - Monitoring and Follow-up of Kidney Stones:-

गुर्दे की पथरी का इलाज और प्रबंधन केवल एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि इसके बाद भी नियमित निगरानी और फॉलो-अप की आवश्यकता होती है। पथरी की स्थिति की निगरानी करना और उपचार के बाद की स्थिति का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण होता है ताकि किसी भी जटिलता या पुनरावृत्ति से बचा जा सके। नीचे हम पथरी की निगरानी और फॉलो-अप के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।

1- नियमित जांच (Regular Check-ups) - पथरी के इलाज के बाद, नियमित जांचों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि पथरी का आकार बढ़ नहीं रहा है और गुर्दे की कार्यक्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है। पथरी के पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए इन जांचों की आवश्यकता होती है।

प्रमुख जांचें -

लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट- रक्त परीक्षण के माध्यम से गुर्दे और यूरीन की कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।

मूत्र विश्लेषण - मूत्र में खनिजों और अन्य तत्वों का स्तर जांचने के लिए नियमित मूत्र परीक्षण किए जाते हैं।

इमेजिंग परीक्षण - जैसे अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन, या X-ray का उपयोग करके पथरी के आकार और स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।

फॉलो-अप की आवृत्ति - शुरुआत में, पथरी के इलाज के बाद हर 6 महीने में एक बार जांच की सिफारिश की जाती है, और फिर बाद में इसे साल में एक बार किया जा सकता है, यदि कोई समस्या न हो।

2- पथरी के आकार और स्थिति का मूल्यांकन (Evaluation of Stone Size and Condition)

पथरी के आकार का मूल्यांकन - पथरी का आकार महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यदि पथरी का आकार बढ़ता है, तो यह मूत्र मार्ग में रुकावट पैदा कर सकता है। नियमित इमेजिंग परीक्षणों के माध्यम से पथरी के आकार का मूल्यांकन किया जाता है ताकि यह देखा जा सके कि यह बड़ा तो नहीं हो रहा।

स्थिति का मूल्यांकन - पथरी की स्थिति की निगरानी यह सुनिश्चित करती है कि वह कहीं फंसी हुई तो नहीं है, जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर पड़े। अगर पथरी मूत्र मार्ग में अटक गई हो, तो यह संक्रमण और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है।

मूल्यांकन के तरीके -

अल्ट्रासाउंड - यह सबसे आम इमेजिंग विधि है जिसका उपयोग पथरी के आकार और स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।

CT स्कैन - जटिल मामलों में CT स्कैन का उपयोग किया जाता है, खासकर जब पथरी का आकार या स्थिति स्पष्ट नहीं होती है।

3- उपचार के बाद की निगरानी (Post-Treatment Monitoring) - पथरी का उपचार चाहे दवाइयों से हो या सर्जिकल प्रक्रिया से, इसके बाद की निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य पथरी के पुनः उत्पन्न होने, संक्रमण, या अन्य जटिलताओं से बचाव करना होता है।

प्रमुख निगरानी बिंदु -

दवाइयाँ और आहार पर निगरानी - पथरी के उपचार के बाद, कुछ दवाइयाँ और आहार में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है। दवाइयों और आहार के प्रभाव को मापने के लिए नियमित रूप से मूत्र और रक्त परीक्षण किए जाते हैं।

संक्रमण और जलन - सर्जरी या लिथोट्रिप्सी के बाद, मूत्र मार्ग में संक्रमण और जलन की संभावना होती है। इसका ध्यान रखना आवश्यक होता है और किसी भी प्रकार के लक्षण की स्थिति में तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।

पथरी का पुनरावृत्ति - उपचार के बाद, पथरी का पुनरावृत्ति एक सामान्य समस्या हो सकती है, खासकर यदि जीवनशैली और आहार में बदलाव नहीं किए गए हैं। नियमित जांच से इसे जल्दी पहचाना जा सकता है।

आवश्यक चिकित्सीय फॉलो-अप - अगर पथरी का इलाज दवाइयों या लिथोट्रिप्सी से किया गया है, तो डॉक्टर आमतौर पर 3-6 महीने के बाद फॉलो-अप की सलाह देते हैं। यदि सर्जरी की गई हो, तो डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि पथरी पूरी तरह से बाहर निकल गई है और गुर्दे की कार्यक्षमता सामान्य है।

निष्कर्ष - Conclusion:-

गुर्दे की पथरी एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे सही समय पर पहचाना और इलाज किया जाना आवश्यक होता है। यदि पथरी का इलाज समय पर न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

 नीचे हम पथरी के इलाज और प्रबंधन के प्रमुख निष्कर्षों पर चर्चा करेंगे:

1-पथरी की पहचान और समय पर इलाज की अहमियत (Importance of Early Detection and Timely Treatment)

समय पर पहचान - पथरी के लक्षण अक्सर दर्द या मूत्र में खून के रूप में प्रकट होते हैं, जो कि किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं। इसलिए, यदि किसी को ऐसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जल्दी पहचानने और इलाज से पथरी के बढ़ने या अन्य जटिलताओं से बचा जा सकता है।

इलाज का महत्व - यदि पथरी का इलाज समय पर किया जाए, तो इससे गुर्दे की कार्यक्षमता पर न्यूनतम असर पड़ता है और पथरी के पुनरावृत्ति का खतरा भी कम होता है। उपचार से न केवल दर्द कम होता है, बल्कि मूत्र मार्ग की रुकावट और संक्रमण जैसे जोखिम भी कम हो जाते हैं।

2- जीवनशैली में बदलाव और सतर्कता की आवश्यकता (Need for Lifestyle Changes and Vigilance)

संतुलित आहार और पानी का सेवन - पथरी से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव आवश्यक हैं। पर्याप्त पानी पीने और संतुलित आहार (जिसमें कैल्शियम, ऑक्सलेट और फास्फेट की मात्रा पर ध्यान दिया जाए) का सेवन करने से पथरी बनने के जोखिम को कम किया जा सकता है।

व्यायाम और वजन नियंत्रण - शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से वजन को नियंत्रित करना और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिलती है। यह पथरी के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है।

आहार से संबंधित सतर्कता - कैल्शियम, ऑक्सलेट, और शुगर की अत्यधिक मात्रा से बचना चाहिए, जो पथरी बनने का कारण बन सकते हैं।

सतर्कता - पथरी के बारे में जागरूकता और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलावों से स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। यदि पहले पथरी हो चुकी है, तो सतर्क रहकर और समय-समय पर जांच करवाकर पुनरावृत्ति से बचा जा सकता है।

3- डॉक्टर की सलाह और नियमित चेकअप का महत्व (Importance of Doctor’s Advice and Regular Check-ups)

डॉक्टर की सलाह - किसी भी प्रकार की पथरी या मूत्र मार्ग संबंधित समस्याओं के बारे में डॉक्टर से उचित सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉक्टर न केवल निदान में मदद करते हैं, बल्कि सही उपचार और प्रबंधन के लिए उपयुक्त दिशा-निर्देश भी प्रदान करते हैं। साथ ही, आहार और जीवनशैली में बदलाव के लिए सलाह दी जा सकती है।

नियमित चेकअप - अगर पथरी का इलाज किया गया है, तो नियमित चेकअप की आवश्यकता होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पथरी पुनः उत्पन्न नहीं हो रही है। डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर अल्ट्रासाउंड, मूत्र परीक्षण और रक्त परीक्षण किए जाते हैं।

रोकथाम और प्रबंधन - डॉक्टर के मार्गदर्शन में सही इलाज से पथरी की पुनरावृत्ति से बचा जा सकता है। साथ ही, गुर्दे की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है।

 सुझाव - Suggestions:-

गुर्दे की पथरी का इलाज केवल चिकित्सीय प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनशैली में उचित बदलाव और सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है। समय पर पहचान, सही उपचार और जीवनशैली में सुधार से पथरी की समस्याओं से बचा जा सकता है और गुर्दे के स्वास्थ्य को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। डॉक्टर की नियमित सलाह और चेकअप से जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है और पथरी के पुनरावृत्ति का जोखिम कम किया जा सकता है।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.